खीरा ककड़ी की फसल से किसान को एक लाख की कमाई लागत 5 हजार

खीरा ककड़ी की फसल से मध्यप्रदेश के किसान की लग गई लॉटरी-जानिए क्या है कहानी

मध्यप्रदेश के धार जिले की मनावर विकासखंड में किसान इंटर क्रॉपिंग टेक्निक से खेती कर रहे हैं। किसानों ने कपास के साथ खीरा ककड़ी की फसल भी लगाई है। एक बार कपास और खीरा ककड़ी की खेती लगाने के बाद साल में तीन बार उपज प्राप्त होती है। इससे कम लागत में अधिक मुनाफा होता है। यहां खीरा देश के बड़े शहरों के साथ-साथ विदेशों में भी सप्लाई किया जा रहा है। व्यापारी इसे सीधे खेतों से खरीदकर देश-विदेश में भेज रहे हैं।

खीरा ककड़ी की फसल

एक बीघा में खीरा ककड़ी की फसल लगाने में 5 हजार का खर्च आता है। यह सालाना एक लाख से ज्यादा कमाती है। किसान भाइयों आज हम आपको ऐसे ही एक किसान की सफलता की कहानी बताने जा रहे है। कैसे एक किसान ने खीरा ककड़ी की फसल लगाकर अब तक लाखों की कमाई की है। इस कहानी से प्रेरणा ले कर सभी किसान भाई इस प्रकार की फसल लगा कर अच्छी कमाई कर सकते है।

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खीरा ककड़ी की फसल की लागत

किसान हरिओम पाटीदार, हरिशंकर सोलंकी और माधव पाटीदार ने बताया कि हमने जीवन में पहली बार खीरा ककड़ी की फसल किसी सब्जी में इतना पैसा बचाया है। खीरे की खेती की लागत 5 हजार प्रति बीघा है। इससे एक बार में 35 हजार रुपये की उपज मिलती है। एक फसल से तीन गुना उत्पादन लें। वहीं कपास की फसल की प्रति बीघा कीमत 16 हजार है। एक बार में 7 क्विंटल उत्पादन होता है। 8000 रुपये की कीमत के साथ एक बार में 56 हजार की कमाई होती है। सालाना 1 लाख 68 हजार तक की कमाई।

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खीरा ककड़ी की फसल का भाव

इस क्षेत्र में खीरा ककड़ी की भारी मांग है। जयपुर के व्यापारी 650 किमी दूर मनावर आते हैं और किसानों के खेतों से इसे खरीदते हैं। वे किसानों को 15 रुपये प्रति किलो की दर से भुगतान करते हैं। इसके बाद जयपुर और गुड़गांव के प्लांट में ले जाकर वैक्यूम पैक करवाते हैं। यहां से ताजा खीरा भारत के बाहर अरब देशों में पहुंचाया जाता है।

इंटरक्रॉपिंग क्या है?

इंटरक्रॉपिंग का अर्थ है खेत के बीच में या खाली जगह में दूसरी फसल लेना। उदाहरण के लिए, गन्ने का अंकुरण और वृद्धि धीमी होती है। फसल बीच में ली जा सकती है, क्योंकि यह फसल खाली जगह छोड़ कर लगाई जाती है।

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खीरा ककड़ी का भरपूर उत्पादन

खीरा ककड़ी का उपयोग वजन कम करने और सलाद के रूप में किया जाता है। बाजार में इसकी कीमतों में भी लगातार इजाफा हो रहा है। रेतीली भूमि में खीरे की खेती अच्छी होती, ऐसे में किसान के पास ऐसी जमीन हो, जिसमें अन्य फसलों का उत्पादन अच्छा न हो, उसी भूमि में खीरे की खेती से अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है।

जैविक खाद का करें उपयोग

20-25 टन प्रति हेक्टेयर खेती की तैयारी से 15-20 दिन पहले सड़ी हुई खाद के साथ मिलाया जाता है। खेती की आखिरी जुताई के समय 20 किलो नाइट्रोजन, 50 किलो फास्फोरस और 50 किलो डालें। पोटाश युक्त उर्वरक मिलाएं। फिर बुवाई के 40-45 दिनों के बाद खड़ी फसल में 30 किलो नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर की दर से टॉप ड्रेसिंग करें।

जायद में तापमान अधिक होने के कारण अपेक्षाकृत अधिक नमी की आवश्यकता होती है। इसलिए गर्मी के दिनों में हर हफ्ते हल्की सिंचाई करनी चाहिए। वर्षा ऋतु में सिंचाई वर्षा पर निर्भर करती है। गर्मियों में फसल में 4-5 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की आवश्यकता होती है। यदि वर्षा ऋतु में वर्षा नहीं होती है, तो सिंचाई की आवश्यकता होती है।

खीरा ककड़ी की उन्नत किस्में

  • भारतीय किस्में: स्वर्ण अर्ली, स्वर्ण पूर्णिमा, पूसा उदय, पूना ककड़ी, पंजाब चयन, पूसा संयोग, पूसा बरखा, खेड़ा 90, कल्याणपुर हरी ककड़ी, कल्याणपुर मध्यम और ककड़ी 75 आदि प्रमुख हैं।
  • नवीनतम किस्में: पीसीयूएच-1, पूसा उदय, स्वर्ण पूर्णा और स्वर्ण शीतल आदि प्रमुख हैं।
  • संकर किस्में: पंत शंकर खेड़ा-1, प्रिया, हाइब्रिड-1 और हाइब्रिड-2 आदि प्रमुख हैं।
  • विदेशी किस्में: जापानी लौंग हरी, चयन, सीधी-8 और पॉइन्सेट आदि प्रमुख हैं।

बुवाई के दो महीने बाद पैदावार

खीरे को बीमारियों से बचाने के लिए किसान बुवाई से पहले उसका उपचार करें। अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए प्रति हेक्टेयर 20-25 टन सड़ी गाय का गोबर डालना चाहिए। खीरा बहुत जल्दी उगने वाली फसल है। यह बुवाई के दो महीने बाद ही फल देना शुरू कर देता है।

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खीरा ककड़ी के बीज बनाने की वैज्ञानिक विधि

खीरा ककड़ी की फसल के लिए नवंबर के महीने में मिट्टी को प्लास्टिक के गिलास में भरकर बीज को अंकुरित होने के लिए रख दें। दो महीने के बाद खेतों में रोपाई की जाती है। बीज तैयार करने की यह वैज्ञानिक विधि प्रचुर मात्रा में उत्पादन देती है। खीरे की खेती से अच्छी आमदनी के लिए किसान संकर किस्मों को प्राथमिकता देते हैं।

बाजार में रहती है काफी डिमांड

कद्दू की फसलों में खीरा का एक अलग ही महत्वपूर्ण स्थान है। गर्मी के दिनों में बाजार में खीरे की काफी डिमांड रहती है। यह गर्मी से ठंडक प्रदान करता है और हमारे शरीर में पानी की कमी को भी पूरा करता है। इसलिए गर्मियों में इसका सेवन काफी फायदेमंद बताया गया है। गर्मियों में खीरे की बाजार मांग को देखते हुए जायद मौसम (रबी और खरीफ मौसम के बीच की अवधि) में खीरा ककड़ी की फसल करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।


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