सोयाबीन बुवाई की नई विधि-किसानों को कर देगी मालामाल

सोयाबीन की खेती से अधिक उपज के लिए Token System से करें बुवाई

खरीफ सीजन में सोयाबीन की फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसान टोकन सिस्टम Token System से बुवाई कर रहे हैं। इससे लागत में कमी के साथ ही पानी की बचत भी होती है। वहीं किसान अधिक पैदावार हासिल कर लाभ कमाते हैं। मॉनसून के आगमन के साथ ही खेती-किसानी के लिए महत्वपूर्ण खरीफ सीजन की शुरुआत हो चुकी है। महाराष्ट्र के किसान (Farmer) मुख्य फसल सोयाबीन की खेती में लगे हुए हैं और उत्पादन बढ़ाने के लिए अलग- अलग प्रयोग कर रहे है।

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अब तक किसान सोयाबीन को (Soybean) पारंपरिक तरीके से बोते थे, लेकिन उत्पादन बढ़ाने के लिए बुवाई प्रणाली में वे बदलाव कर रहे हैं। किसान अब Token System से बुवाई पर ध्यान दे रहे हैं यानी अब सोयाबीन की बुवाई मशीन से की जाएगी। अगर बारिश नहीं भी होती है तो जिन किसानों के पास पानी की सुविधा है, वे इस टोकन विधि से बुढ़ार्ड (Sowing) कर सकते हैं। मराठवाड़ा के कुछ जिलों में किसान पोयाबीन की बुवाई शुरू कर चुके हैं। किसानों को बुवाई प्रणाली में बदलाव से उत्पादन में बढ़ोतरी की उम्मीद है।

कम बीज में अधिक उपज

उत्पादन बढ़ाने के लिए बुवाई प्रक्रिया को महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि बुवाई के समय उचित विधियों का पालन किया जाए तो उत्पादन में वृद्धि निश्चित मानी जाती है। अभी तक पारंपरिक तरीके से नियमित बुवाई करने पर प्रति एकड़ 7 से 8 क्विंटल सोयाबीन की पैदावार होती है, लेकिन टोकन प्रणाली से बुवाई करने से किसानों ने कम बीज में अधिक उपज पाया है।

तेजी से बढ़ती है फसल

इस तरीके की बुवाई अब समय के साथ अधिक से अधिक मान्य होती जा रही है। टोकन विधि से जिस तरह गन्ना और हल्दी की बुवाई की जाती है, उसी तरह किसान अब सोयाबीन की भी बुवाई कर रहे हैं। इस विधि से बुवाई के समय खेतों में दोनों ओर 9 इंच की दूरी पर सोयाबीन लगाया जाता है। इसकी उच्च अंकुरण क्षमता के कारण, फसल कम समय में फलती-फूलती है और तैयार हो जाती है।

टोकन पद्धति से बुवाई के लाभ

उत्पादकता में वृद्धि के अनुरूप किसान अब विभिन्न परिवर्तनों को अपना रहे हैं। अब इस व्यवस्था का लाभ मराठवाड़ा के नांदेड, लातूर और उस्मानाबाद जिले के किसान भी उठा रहे हैं। साथ ही, इसके लिए कृषि विभाग का मार्गदर्शन भी जरूरी है। यह न केवल बीजों के उपयोग को कम करता है बल्कि जल संरक्षण में भी मदद करता है, वहीं किसान उत्पादन में वृद्धि हासिल कर लाभ कमाते हैं।
राज्य में पिछले दो वर्षों से टोकन प्रणाली का व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है। इस मशीन से बुवाई के लिए एक से ज्यादा लोगों की जरूरत भी नहीं पड़ती है, इसलिए कृषि विभाग भी किसानों को टोकन मशीन से बुवाई करने की सलाह दे रहा है।

सोयाबीन का रकबा बढ़ने की उम्मीद

नांदेड़ की तरह लातूर जिले में भी किसान बुवाई प्रणाली में बड़े पैमाने पर बदलाव कर रहे हैं। पिछले साल लातूर जिले में टोकन पद्धति से 10 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई की गई थी। साथ ही, साल भर किसानों को इस प्रणाली के महत्व से अवगत कराया गया और कुछ गांवों ने इसे अपनाया भी है। इसे देखते हुए जिला कृषि अधीक्षक दत्तात्रेय गावासने को उम्मीद है कि इस साल टोकन सिस्टम के तहत रकबा बढ़ेगा। हालांकि अपेक्षित बारिश नहीं होने के कारण अभी बुवाई धीमी ही है।

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