Khad ki Price – खाद पर सब्सिडी होगी दुगनी

Khad ki Price रूस यूक्रेन युद्ध के कारण गड़बड़ाई खाद की आपूर्ति, Urea के दाम आसमान चुने का बहुत बड़ा कारण बनी है। 

भारत एक कृषि प्रधान देश हैं जहां 70% लोग खेती करते हैं किसी भी देश की अर्थव्यवस्था उसके खाद्यान्न उपज एवं भंडारण पर निर्भर करती हैं। विश्व में गहरा रहे युद्ध संकट की वजह से पूरी दुनिया खाद्यान्न संकट से गुजर रही हैं, और भारत भी इस संकट से बच नहीं सका हैं।

कृषि व्यवसाय में बढ़ते खाद के दाम, उस पर पेट्रोल-डीजल ने भी कही कसर नहीं छोड़ी हैं। खाद के बढ़ते दाम किसान के साथ सरकार के लिए भी लिए चिंता का विषय हैं। खाद की बढ़ रही कीमतों को लेकर केंद्र सरकार ले रही खाद पर सब्सिडी दुगनी करने का निर्णय।

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विश्व में खाद के दाम बढ़ने क्या वजह हैं

भारत के गेंहू निर्यात पर बैन लगाने और रूस के अमेरिका के दिए गए प्रस्ताव को अमेरिका ने ठुकरा दिया हैं इससे पूरी दुन्या में बहुत ज्यादा असर पड़ने वाला हैं। रूस और उक्रेन दोनों गेंहू के बहोत बड़े उत्पादक हैं, रूस पर एक्सपोर्ट बैन लगा हुआ हैं और उक्रेन के पास भी बहोत ज्यादा मात्रा में गेंहू का भंडार हैं लेकिन उक्रेन के निचले बंदरगाह पर रूस का कब्ज़ा हैं।

रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका से एक प्रस्ताव रखा की हम पर से कुछ बैन हटा दो ताकि हमारी भी अर्थव्यवस्था चल सके और उक्रेन बाकि पूरी दुनिया को गेंहू का निर्यात कर सकें। तो इसके लिए अमेरिका को यह प्रस्ताव मन लेना चाहिए ताकि गेंहू का निर्यात रूस और उक्रेन दोनों कर सके। लेकिन गेंहू का निर्यात न रूस कर पारहा हैं न उक्रेन इससे बहोत जयादा समस्या पैदा हो गई हैं।

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रूस-यूक्रेन संकट है बड़ा कारण- Khad ki Price

रूस सबसे बड़ा यूरिया और अन्य खाद (Fertilizer) का उत्पादक देश हैं। अकेला रूस गैस, अनाज और खाद का दुनिया भर में सबसे बड़ा निर्यात करता रहा है, लेकिन अब एक्सपोर्ट बैन आर्थिक प्रतिबंधों के चलते ऐसा करना मुश्किल हो गया है। रूस-यूक्रेन युद्ध ने सारी दुनिया के लिए आफत खड़ी कर दी हैं।

इसलिए फसल उगाने की तैयारी में काम आने वाले खाद से लेकर खाने के सामान तक की कीमतों में भारी उछाल आ गया है। रूस यूक्रेन की लड़ाई की वजह से खाद की आपूर्ति, फर्टिलाइजर की कीमत में वृद्धि का बहुत बड़ा कारण बनी है.

क्या होगा इसपर सरकार का रवैया- Khad ki Price

अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद (fertilizer) की बढ़ती कीमतों के दुष्प्रभाव से हमारे किसानों को बचाने के लिए भारत सरकार ने खाद सब्सिडी को दोगुना करने की तैयारियां शुरू कर दी है क्योंकि खाद की कीमतें जहां पिछले साल 80 फीसदी बढ़ी थी, वहीं इस साल भी 30% तक वृद्धि हो चुकी है, विशेषज्ञों के अनुसार सरकार इस साल खाद सब्सिडी पर 200000 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बना रही है। और हिंदुस्तान भारत की कृषि और किसान के विकास के लिए ऐसा करना जायज भी है.

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क्या हैं खाद की अंतर्राष्ट्रीय प्राइस Khad ki Price

Nitrogen, Phosphorus, और Potassium से बनने वाली खाद की कीमत सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि सारी दुनिया में बेतहाशा बढ़ी है। इसके साथ ही यूरिया और डाई अमोनियम फास्फेट (DAP) की कीमतों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. जिसका कारण कोयला और नेचुरल गैस का महंगा होना बताया जा रहा है। 

Urea की कीमतों की बात की जाए तो यह 2008 के संकट के स्तर को भी क्रॉस कर चुकी है। Muriate of Potash (M.O.P) रूस यूक्रेन युद्ध के पहले 280 डॉलर प्रति टन के भाव था और आज इसकी कीमत लगभग 500 डॉलर प्रति टन पहुंच चुकी है।

यूरोपीय देशों ने रूस से प्राकृतिक गैस आयात करना बंद तो कर दिया लेकिन इसका परिणाम यह हुआ कि खाद बनाने वाले कारखानों में यह गैस बहुत महंगी हो गई और इसके भाव 9 डॉलर से बढ़कर 25 डॉलर तक पहुंच गए। रही सही कसर चीन द्वारा खाद निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों ने पूरी कर दी। 

खाद आपूर्ति पर गहराई परछाई का भारत पर बहुत गहरा असर होगा क्योंकि भारतीय किसान यूरिया DAP और Muriate of Potash (M.O.P) खाद का प्रयोग करते हैं, जिसका एक बड़ा हिस्सा विदेशों से आयात किया जाता है। 

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खाद के दाम बढ़ने के क्या होंगे परिणाम

यदि खाद (Fertilizer) की बढ़ती कीमतों पर लगाम नहीं लगाई गई तो इसका असर बहुत गहरा होगा, क्योंकि खाद का प्रयोग उपज पैदा करने से पहले किया जाता है। यानि उत्पादित होने वाले अनाज की कीमत स्वतः ही बढ़ी हुई मिलेगी. हो सकता है किसान उत्पादन की मात्रा भी हटा दें क्योंकि वह अपनी लागत ज्यादा बढ़ाना नहीं चाहेगा और परिणाम यह होगा कि खाद्यान्न संकट बढ़ेगा

यदि खाद (Fertilizer) की बढ़ती कीमतों पर काबू नहीं पाया गया तो उसका प्रभाव अत्यंत गहरा होगा, क्योंकि खाद का उपयोग कृषि में फसल उत्पादन से पहले किया जाता है। यानी पैदा होने वाले अनाज की लागत स्वाभाविक रूप से बढ़ जाएगी। बिना खाद के उपज प्रभवित होगी, खाद  महँगी होगी तो किसान अपने खर्च को बहुत अधिक नहीं बढ़ाएगा और हो सकता हैं पैदावार की मात्रा को कम कर सकता है,  इसका परिणाम यह होगा कि अनाज की आपूर्ति बाधित होगी, खाद्यान्न संकट में वृद्धि होगी।

यूरिया का विकल्प नैनो यूरिया

इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड Indian Farmers Fertilizer Cooperative Limited (IFFCO) द्वारा किसानों की सुविधा के लिए नैनो यूरिया लिक्विड की शुरूआत की थी। ठोस यूरिया के प्रयोग की तुलना में कम से कम 50 प्रतिशत कमी लाने के लिए नैनो यूरिया को तैयार किया गया था। नैनो यूरिया की 500 मिली की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होती हैं, जो की ठोस सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर नाईट्रोजन पोषक तत्व प्रदान करता हैं। यही कारण है की नैनो यूरिया पूरी तरह से सामान्य यूरिया का विकल्प  माना जा रहा है।

मिट्टी को उपजाऊ बनता है नैनो यूरिया

नैनो यूरिया में नाइट्रोजन की मात्रा इफको नैनो यूरिया फसलों को जरूरत के हिसाब से नाइट्रोजन प्रदान कर मिट्टी को अधिक उपजाऊ बनाकर फसल को गुणवत्तापूर्ण बनाता हैं। इफको नैनो यूरिया लिक्विड का प्रयोग पर्यावरण के अनुकूल और सस्ता होने के साथ ही अधिक लाभ देने वाला हैं। स्वदेशी नैनोफर्टिलाइजर को दुनिया में पहली बार इफको-नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर (एनबीआरसी) कलाल गुजरात में पेटेंट तकनीक की सहायता से तैयार किया गया हैं।

Khad ki Price किसानों के लिए यह पारंपरिक यूरिया का अच्छा विकल्प है, क्योंकि इसमें सभी समान पोषक तत्व उपलब्ध हैं, इफको कंपनी का दावा है कि इफको नैनो यूरिया का उपयोग उसके उत्पादन की तारीख से 2 वर्ष के भीतर किया जा सकता है।

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