Vermicompost Fertilizer | केंचुआ खाद के इस्तेमाल से होगा लाखों का मुनाफा
Vermicompost Fertilizer | केंचुआ खाद के इस्तेमाल से होगा लाखों का मुनाफा, होती क्या है, इसको हम खेत में कब, कैसे और कितना इस्तेमाल करना चाहिए?
केंचुआ खाद ( Vermicompost Fertilizer) क्या होती है?
सबसे पहले वर्मीकम्पोस्ट खाद होती क्या है, वर्मीकम्पोस्ट फर्टिलाइजर यानि कृमि खाद, केंचुओं के द्वारा जो खाद बनाई जाती है, हम उसे वर्मीकम्पोस्ट खाद कहते है। केंचुआ क्या करते है, मिट्टी में जो गोबर डालते है उसको केचुंए डिकम्पोस्ट करते है।
केंचुएं गोबर को खाने के बाद उसे खाद के रूप में निकाल देते है। केचुएं के खाने के बाद जो खाद निकलती है, उसके अंदर जो केंचुआ है, वो हमे नाइट्रोजन, पोटेशियम, फास्फोरस और जो हमारा ऑर्गेनिक कार्बन है, इसकी क्वांटिटी में गोबर जो है, वो कम होती है, पर जब केंचुए इसको खाकर के जो खाद निकाल देते है, इसके अंदर वो वर्मीकम्पोस्ट की क्वांटिटी को बूस्ट कर देते है। इससे खेती उपजाऊ होती है, और पैदावार में भी बढ़ोतरी होती है। केंचुआ खाद गोबर खाद से पावर फुल होती है।
वर्मीकम्पोस्ट हमें खेत में कब डालना चाहिए ?
जो किसान भाई हमारे जैविक खेती करते है वहाँ पर ज्यादातर इसका जहाँ यूरिया DAP का इस्तेमाल किया जाता है उसकी जगह इसका उपयोग किया जाता है।वर्मीकम्पोस्ट खाद को खेतों में बुवाई करने से पहले सूखे में डाल देना चाहिए। जमीन में केंचुआ खाद का उपयोग करने के बाद रासायनिक खाद व कीटनाशक दवा का उपयोग न करें।
केंचुआ को नियमित अच्छी किस्म का सेन्द्रिय पदार्थ देते रहना चाहिए। उचित मात्रा में भोजन एवं नमी मिलने से केंचुए क्रियाशील रहते है।
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Vermicompost Fertilizer खाद को कितनी डालना चाहिए?
वर्मी कम्पोस्ट जैविक खाद का उपयोग विभिन्न फसलों में अलग-अलग मात्रा में किया जाता है। खेती की तैयारी के समय 2.5 से 3.0 टन प्रति हेक्टेयर उपयोग करना चाहिए। खाद्यान्न फसलों में 5.0 से 6.0 टन प्रति हेक्टेयर मात्रा का उपयोग करें। फल वृक्षों में आवश्यकतानुसार 1.0 से 10 किग्रा./पौधा वर्मी कम्पोस्ट उपयोग करें तथा किचन, गार्डन और गमलों में 100 ग्राम प्रति गमला खाद का उपयोग करें तथा सब्जियों में 10-12 टन/हेक्टेयर वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग करें
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यदि आप पौधे लगे गमले की मिट्टी में इस जैविक खाद का उपयोग करना चाहते हैं, तो इसे आम तौर पर महीने में एक या दो बार, एक मुट्ठी वर्मीकम्पोस्ट को मिट्टी की ऊपरी सहत पर डाल सकते हैं। अपने पौधों की मिट्टी में वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग करने के बाद रासायनिक उर्वरक व कीटनाशक का उपयोग न करें। सब्जी वाली फसलों में वर्मीकम्पोस्ट 2-3 टन प्रति एकड़ की दर से डालना चाहिए।
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वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग करने के फायदे
वर्मी कम्पोस्टिंग का प्राथमिक लाभ यह है कि यह तरह से ऑर्गेनिक और पर्यावरण के अनुकूल है इसमें किसी भी प्रकार के रसायन नहीं होते हैं। इसके उपयोग से पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और पौधों में अधिक मात्रा में उच्च गुणवत्ता के फल और फूल लगते हैं। वर्मीकम्पोस्ट वाली मिट्टी में खरपतवार बहुत कम लगती है।
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यदि किसान को कम लागत में अधिक लाभ कमाना है तो वे वर्मी कंपोस्ट का इस्तेमाल जरूर करें। किसान जिस रासायनिक खाद को इस्तेमाल कर रहे हैं। वह मिट्टी को खराब कर रही है। मिट्टी में मुख्यत: नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटेशियम तत्व होते हैं, जिससे मिट्टी में उर्वरक क्षमता बनी रहती है। रासायनिक खाद इन्हें नष्ट कर देती है, जबकि वर्मी कंपोस्ट इसकी मात्रा को बढ़ाने का काम करती है।इसके प्रयोग से फसलों की उपज में लगभग 15 से 20 प्रतिशत तक की वृद्धि होती है।
इसके प्रयोग से मिट्टी की भौतिक संरचना में परिवर्तन होता है और उसकी जल धारण क्षमता भी बढ़ती है। इसका उपयोग किचन गार्डन में भी किया जा सकता है।वर्मी कम्पोस्ट डालने से फूलों और फलों के आकार में भी वृद्धि होती है।
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