बांस की खेती किसानों के लिए सुनहरा अवसर, सरकार दे रही 50% सब्सिडी

जानें, बांस की खेती पर सरकार की योजना क्या है और किसान इससे कैसे उठा सकते हैं लाभ

देशभर में बांस की खेती इन दिनों तेजी से लोकप्रिय होती जा रही है। इसके पीछे कारण यह है कि बांस की खेती के लिए सरकार की ओर से 50% सब्सिडी दी जा रही है। बांस की खेती करके किसान 60 से 80 लाख रुपए की कमाई कर सकते हैं। बांस का बाजार मूल्य भी अच्छा मिल जाता है। ऐसे में बांस की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है।

पहले बांस की खेती को सिर्फ कुछ क्षेत्रों में सीमित रूप से अपनाया जाता था, लेकिन अब इसके आर्थिक और पर्यावरणीय फायदों ने इसे किसान की नई पसंद बना दिया है। खासकर पूर्वोत्तर और मध्य भारत में बड़ी संख्या में किसान बांस की खेती को अपनाकर लाखों रुपए की आमदनी कर रहे हैं। बांस की खेती कम लागत, कम जोखिम और ज्यादा मुनाफा देने वाला मॉडल है, जिसे हर प्रकार की मिट्टी और जलवायु में आसानी से उगाया जा सकता है।

जानिए बांस की खेती क्यों है फायदेमंद

बांस एक ऐसी फसल है जिसे न अधिक खाद की आवश्यकता होती है, न ही अधिक सिंचाई की। यह मौसम की मार झेलने में भी सक्षम होती है और बंजर जमीन में भी आसानी से उगाई जा सकती है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार बांस के पौधों को पूरी तरह परिपक्व होने में 3 से 5 साल का समय लगता है, लेकिन एक बार तैयार होने के बाद यह कई सालों तक लगातार पैदावार देता रहता है। बांस का बाजार भाव भी अच्छा मिल जातl है, क्योंकि इसकी बाजार मांग काफी है।

एक एकड़ में बांस की कितनी होती है पैदावार

एक अनुमान के मुताबिक प्रति एकड़ करीब 15 से 20 टन बांस की पैदावार होती है। बांस बाजार भाव 3,000 से 5,000 रुपए प्रति टन तक रहता है। यदि किसान 10 एकड़ में बांस का बागान तैयार करता है, तो इसके जीवनकाल में इससे 60 से 80 लाख रुपए तक की आमदनी हो सकती है। शुरू के 3 से 4 साल आमदनी कम होती है, लेकिन पांचवें साल से कटाई लगातार शुरू हो जाती है, जिससे किसान को हर साल अच्छा मुनाफा मिलता है।

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जानिए बांस की खेती में कितनी आती है लागत

बांस की खेती में शुरुआती लागत बहुत अधिक नहीं होती है। एक एकड़ में करीब 400–500 पौधे लगाए जाते हैं और प्रति पौधा लागत 50-100 रुपए तक आती है। खेत की तैयारी, गड्ढे खोदना, मजदूरी, शुरुआती खाद और सिंचाई मिलाकर एक एकड़ की कुल लागत करीब 60,000 से 95,000 रुपए तक होती है। पहले तीन सालों में थोड़ी देखभाल और पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन उसके बाद पौधे खुद बढ़ते हैं और बार-बार देखभाल की आवश्यकता नहीं रहती है। इसी कारण यह किसानों के लिए एक लो-मेंटेनेंस और हाई-रिटर्न देने वाली फसल साबित होती है।

जानिए बांस की खेती पर कितनी मिलती है सरकार से सब्सिडी

बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय बांस मिशन (National Bamboo Mission) चलाया हुआ है। इस मिशन के तहत किसान को बांस के पौधे लगाने पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है। इसके साथ ही किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण, पौधे की उपलब्धता, मार्केट लिंकिंग और बांस आधारित उद्योगों के लिए सहायता भी प्रदान की जाती है। विशेष रूप से पूर्वोत्तर राज्यों में यह योजना बहुत सफल रही है। सरकार का उद्देश्य है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए बांस जैसे कम लागत वाले, पर्यावरण अनुकूल और टिकाऊ कृषि मॉडल को बढ़ावा दिया जाए।

बांस की खेती पर अनुदान के लिए कैसे करें आवेदन

बांस की खेती के लिए अनुदान हेतु आवेदन की प्रक्रिया आसान है। किसान इन तरीकों से आवेदन कर सकते हैं-

  • राष्ट्रीय बांस मिशन की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करें।
  • खेत और जमीन से संबंधित डॉक्यूमेंट अपलोड करें।
  • पौधारोपण योजना और जरूरत के अनुसार सब्सिडी के लिए ऑनलाइन आवेदन जमा करें।
  • नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) या कृषि विभाग कार्यालय से भी सहायता और प्रशिक्षण प्राप्त किया जा सकता है।
  • कई राज्यों में ब्लॉक स्तर पर भी शिविर लगाए जाते हैं, जिनमें किसानों को बांस की खेती के विभिन्न मॉडल और बाजार उपलब्धता की जानकारी दी जाती है।

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पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है बांस

बांस दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली घास है। यह वातावरण से बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड को सोखकर ऑक्सीजन छोड़ता है। बांस के पौधे मिट्टी के कटाव को रोकते हैं और बंजर भूमि को उपजाऊ बनाते हैं। यही कारण है कि बांस को आज ग्रीन इकोनॉमी क्रॉप के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है। कई उद्योग जैसे पेपर, फर्नीचर, अगरबत्ती, निर्माण कार्य, क्राफ्ट आइटम और बायोफ्यूल में बांस की मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे किसानों को बाजार में अच्छे दाम मिल रहे हैं।

बांस की खेती किसानों के लिए सुनहरा अवसर

किसानों के पास कम उपजाऊ या अनुपयोगी जमीन है, वे बांस की खेती से लंबे समय तक आय प्राप्त कर सकते हैं। सही प्रजाति का चयन, वैज्ञानिक तरीके से पौधारोपण और मार्केट से जुड़ाव होने पर यह खेती लाखों रुपये का फायदा दिला सकती है। बांस न केवल किसानों की आय बढ़ाता है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आने वाले समय में बांस आधारित उद्योगों की मांग और बढ़ने की उम्मीद है, जिससे यह खेती और अधिक लाभकारी साबित हो सकती है।


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