गन्ना किसानों को राहत, जल्द मिलेगा बकाया भुगतान

राज्य सरकारें गन्ना किसानों के बकाया भुगतान को लेकर हुईं सख्त

गन्ना किसानों को राहत: देश के कई राज्यों में गन्ना किसानों को समय पर भुगतान नहीं मिलने की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। खासकर बिहार, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में यह मामला अब सरकारों की प्राथमिकता बन चुका है। किसानों की नाराजगी को देखते हुए अब राज्य सरकारों ने सख्त रुख अपनाया है और अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि बकाया भुगतान में और देरी न हो।

बिहार में समीक्षा बैठक में कड़े निर्देश

बिहार के गन्ना उद्योग मंत्री कृष्णनंदन पासवान ने हाल ही में पटना में विभागीय अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की। बैठक में मंत्री ने साफ कहा कि गन्ना किसानों का बकाया समय पर चुकाना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अब तक किसानों को 99.80% भुगतान हो चुका है और बचे हुए राशि के लिए चीनी मिलों को समयसीमा तय की गई है। साथ ही गन्ना सर्वेक्षण को भी पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।

गन्ना योजनाएं और CSR पर फोकस

बैठक में यह भी तय किया गया कि चीनी मिलें CSR (कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सबिलिटी) के तहत शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में योगदान दें। साथ ही मुख्यमंत्री गन्ना विकास योजना, गन्ना यंत्रीकरण योजना और गुड़ प्रोत्साहन योजना की प्रगति की समीक्षा की गई। मंत्री ने इन योजनाओं को तेजी से और प्रभावी ढंग से लागू करने के निर्देश दिए।

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नई तकनीक और नवाचार पर जोर

विभागीय सचिव कार्तिकेय धनजी ने सुझाव दिया कि गन्ना उत्पादन को बेहतर बनाने के लिए आधुनिक तकनीक जैसे टिश्यू कल्चर लैब का उपयोग किया जाए। इससे न केवल उत्पादन बढ़ेगा बल्कि गन्ने की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। सचिव ने यह भी बताया कि किसानों और मिलों के लिए नई प्रोत्साहन योजनाएं जल्द शुरू की जाएंगी।

हरियाणा में किसानों का दबाव

हरियाणा में गन्ना किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा से मिला और उन्हें ज्ञापन सौंपा। किसानों ने बताया कि राज्य में 22 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है, जिसमें सबसे ज्यादा बकाया यमुनानगर शुगर मिल पर है। किसानों ने बताया कि बकाया भुगतान न होने की वजह से अगली फसल की तैयारी में दिक्कतें आ रही हैं। मंत्री ने आश्वासन दिया कि एक सप्ताह के भीतर भुगतान करा दिया जाएगा और अधिकारियों को इसके लिए निर्देश दे दिए गए हैं।

उत्तर प्रदेश में चेतावनी का दौर

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में गन्ना समिति की बैठक में मिलों की लापरवाही पर नाराजगी जताई गई। करीमगंज और बिलारी मिलों द्वारा भुगतान और तोल पर्चियों में देरी को लेकर समिति ने चेतावनी दी कि यदि जुलाई 2025 तक भुगतान नहीं हुआ तो अगस्त में मिल के गन्ना क्षेत्र को घटाने का प्रस्ताव पारित किया जाएगा। साथ ही मिलों को समय पर इंडेंट भेजने और किसानों को सुविधा देने के निर्देश भी दिए गए।

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सरकारें अब गंभीर, मिलों को जवाबदेह बनना होगा

इन घटनाओं से साफ है कि अब सरकारें किसानों के हित को लेकर पहले से ज्यादा सक्रिय हो गई हैं। चाहे वह समीक्षा बैठक हो, योजनाओं की समीक्षा हो या किसानों के ज्ञापन – सभी स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं कि गन्ना किसानों को उनकी मेहनत का पूरा मूल्य समय पर मिले। आने वाले दिनों में चीनी मिलों को और अधिक जवाबदेह बनना पड़ेगा, क्योंकि अब सरकारें लापरवाही नहीं सहेंगी।

यह खबर किसानों के लिए उम्मीद की किरण है, जो लंबे समय से अपने बकाया का इंतजार कर रहे हैं। यदि ये सख्ती और योजनाएं सही तरीके से लागू हुईं, तो गन्ना उद्योग में सुधार के साथ-साथ किसानों की स्थिति में भी बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।


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