आम की सुंदरजा और गेहूं की शरबती किस्म को मिला जीआई टैग
देश विदेश में माँग बढ़ने से किसानों को होगा लाभ
जीआई टैग किसी भी रीजन का जो क्षेत्रीय उत्पाद होता है उससे उस क्षेत्र की पहचान होती है। उस उत्पाद की ख्याति जब देश-दुनिया में फैलती है तो उसे प्रमाणित करने के लिए एक प्रक्रिया होती है जिसे जीआई टैग यानी जीओ ग्राफिकल इंडीकेटर (Geographical Indications) कहते हैं। जिसे हिंदी में भौगोलिक संकेतक नाम से जाना जाता है।
ऐसे मिलता है जीआई टैग
किसी भी क्षेत्र की विशेष वस्तु जो उस क्षेत्र के अलावा कहीं और न पाई जाए। उसे विशेष पहचान दिलाने के लिए जीआई टैग दिया जाता है। जीआई टैग उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग द्वारा जारी किया जाता है जो वाणिज्य मंत्रालय के तहत संचालित होता है।
आम की सुंदरजा और गेहूं की शरबती किस्म जियोग्राफिकल इंडिकेशंस में रजिस्टर्ड
जीआई टैग से किसी भी उत्पाद को बाजार में एक नई पहचान मिलती है जिससे उसकी बाजार में माँग बढ़ती है इसका लाभ सीधे उस स्थान विशेष को होता है जहां से उत्पाद की उत्पत्ति हुई है। मध्यप्रदेश का सुप्रसिद्ध शरबती गेंहू अब देश की बौद्धिक संपदा में सम्मिलित हो गया है। कृषि उत्पाद श्रेणी में शरबती गेहूं सहित रीवा के सुंदरजा आम को हाल ही में जीआई रजिस्ट्री द्वारा पंजीकृत किया गया है।
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इन उत्पादों को मिल चूका है जीआई टैग
जिसमें खाद्य सामग्री श्रेणी में मुरैना गजक ने जीआई टैग प्राप्त किया है। हस्तशिल्प श्रेणी में प्रदेश की गोंड पेंटिंग, ग्वालियर के हस्तनिर्मित कालीन, डिंडोरी के लोहशिल्प, जबलपुर के पत्थर शिल्प, वारासिवनी की हैंडलूम साड़ी तथा उज्जैन के बटिक प्रिंट्स को शामिल है।
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क्यों खास है शरबती गेहूं
मध्य प्रदेश के शरबती गेहूं को एप्लीकेशन नंबर-699 के तहत जीआई टैग जारी किया गया है। भारत में शरबती गेहूं की क्वालिटी को सर्वोत्तम बताया जाता है। यही से शरबती गेहूं और इससे बने प्रोडक्ट्स दुनियाभर में निर्यात होते हैं। शरबती गेहूं की खेती एमपी के विदिशा और सिहोर जिलों मे की जाती है। ये मध्य प्रदेश की लोकल वैरायटी है, जिसके दानों की चमक बिल्कुल सोने की तरह है। शरबती गेहूं से बनी चपाती का स्वाद भी सबसे अलग होता है। गेहूं की ये प्रीमियम वैरायटी फाइबर, प्रोटीन और विटामिन बी और ई का अच्छा सोर्स है।
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सुन्दरजा आम
रीवा का सुंदरजा आम अपनी अनूठी सुगंध और स्वाद के लिए राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर जाना जाता है। कम चीनी और अधिक विटामिन ई की वजह से यह आम मधुमेह रोगियों के लिए भी हितकारी होता है। सुंदरजा आम को आवेदन क्रमांक 707 के संदर्भ में जीआई टैग प्राप्त हुआ है।
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