बढ़ेगी पैदावार फसलों में नहीं लगेंगे कीट एवं रोग, इस गर्मी खेतों की गहरी जुताई करें क‍िसान

अप्रैल और मई का महीना किसानों के लिए बहुत ही विशेष

अप्रैल और मई का महीना किसानों के लिए बहुत ही विशेष होता है। क्योंकि इस समय खाली खेतों को हेल्दी और उपजाऊ बनाने के लिए किसानों को कुछ जरूरी काम करने होते हैं। इन सभी कामों में से सबसे जरूरी है क‍ि क‍िसान इन महीनों में अपने खेतों की गहरी जुताई करें, अधिक लाभ गर्मी में गहरी जुताई करने और खेत खाली छोड़ दिए जाने से मिलता है। इस समय खेतों की गहरी जुताई करना बहुत ही लाभदायक होता है। जिससे कीटों के अंडे, शंकु और लट खत्म हो जाते हैं।

खरीफ के मौसम में धान, बाजरा, दलहन और सब्जियों में लगने वाले कीट-रोग का प्रकोप कम हो जाता है। अतः गर्मी में गहरी जुताई करने से कीड़े- बीमारियों से एक सीमा तक छुटकारा पाया जा सकता है।

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गर्मी की गहरी जुताई से सूर्य की तेज किरणें भूमि के अंदर तक जाती है…

अप्रैल और मई महीने में गर्मी तेज पड़ती है। जिसमें दिन का तापमान 42 से 44 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है और सूरज की रोशनी सीधे धरती पर पड़ती है। इससे भूमि का तापमान भी बढ़ जाता है, अगर किसान रबी फसलों की कटाई के बाद खेतों की 12 इंच तक यानि 20 से 30 सेंटीमीटर तक गहरी जुताई करता है, तो इसे गर्मी की गहरी जुताई कहा जाता है। ट्रैक्टर से चलने वाले तवेदार मोल्ड बोर्ड हल भी गर्मी की जुताई के लिए उपयुक्त है।

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किसानों को ज्यादा रेतीले इलाकों में गर्मी की जुताई नहीं करनी चाहिए…

किसानों को ज्यादा रेतीले इलाकों में गर्मी की जुताई नहीं करनी चाहिए। मिट्टी के बड़े-बड़े ढेले रहे तथा मिट्टी भुरभुरी ना हो पाए क्योंकि गर्मी में हवा द्वारा मिट्टी के कटाव की समस्या हो जाती है। ज्यादा रेतीले इलाकों में गर्मी के समय जुताई बिल्कुल ना करें, क्योंकि गर्मी की जुताई से जलवायु का प्रभाव सुचारु रुप से मिट्टी में होने वाली प्रक्रियाओं पर पड़ता है और वायु तथा सूर्य के प्रकाश की सहायता से मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्व अधिक सुगमता से पौधे भोजन के रूप में लेते हैं। 

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गर्मी की जुताई के लाभ…

  • मिट्टी में कार्बनिक पदार्थो की बढ़ोतरी होती है।
  • मिट्टी के पलट जाने से जलवायु का प्रभाव सुचारू रूप से मिट्टी में होने वाली प्रतिक्रियाओं पर पड़ता है और वायु तथा सूर्य के प्रकाश की सहायता से मिट्टी में विद्यमान खनिज अधिक सुगमता से पौधे के भोजन में परिणित हो जाते हैं।
  • गर्मी कीजुताई कीट एवं रोग नियंत्रण में सहायक है। हानिकारक कीड़े तथा रोगों के रोगकारक भूमि की सतह पर आ जाते हैं और तेज धूप से नष्ट हो जाते हैं।
  • गर्मी की जुताई मिट्टी में जीवाणु की सक्रियता बढ़ाती है तथा यह दलहनी फसलों के लिए अधिक उपयोगी है।
  • गर्मी की जुताई खरपतवार नियंत्रण में भी सहायक है। काँस, मोथा आदि के उखड़े हुए भागों को खेत से बाहर फेंक देते हैं। अन्य खरपतवार उखड़ कर सूख जाते हैं। खरपतवारों के बीज गर्मी व धूप से नष्ट हो जाते हैं।
  • बारानी खेती वर्षा पर निर्भर करती है अत: बारानी परिस्थितियों में वर्षा के पानी का अधिकतम संचयन करने लिए गर्मी की गहरी जुताई करना नितान्त आवश्यक है। अनुसंधानों से भी यह सिद्ध हो चुका है कि गर्मी की जुताई करने से 31.3% बरसात का पानी खेत में समा जाता है।
  • गर्मी की जुताई करने से बरसात के पानी द्वारा खेत की मिट्टी कटाव में भारी कमी होती है अर्थात् अनुसंधान के परिणामों में यह पाया गया है कि गर्मी की जुताई करने से भूमि के कटाव में 66.5% तक की कमी आती है। गर्मी की जुताई से गोबर की खाद व अन्य कार्बनिक पदार्थ भूमि में अच्छी तरह मिल जाते हैं जिससे पोषक तत्व शीघ्र ही फसलों को उपलब्ध हो जाते है।

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गर्मी की जुताई के लिए मुख्य बातें…

  • गर्मी की जुताई हर दो-तीन वर्ष में एक बार जरूर करें।
  • जुताई के बाद खेत के चारों ओर एक ऊँची मेड़ बनाने से वायु तथा जल द्वारा मिट्टी का क्षरण नहीं होता है तथा खेत वर्षा जल सोख लेता है।
  • गर्मी की जुताई हमेशा मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी करनी चाहिए जिससे खेत की मिट्टी के बड़े-बड़े ढेले बन सके, क्योंकि ये मिट्टी के ढ़ेले अधिक पानी सोखकर पानी खेत के अन्दर नीचे उतरेगा जिससे भूमि की जलधारण क्षमता में सुधार होता है।
  • किसान भाईयों यदि आप अपने खेतों की गर्मी की जुताई करेंगे तो निश्चित ही आपकी आने वाली खरीफ मौसम की फसलें न केवल कम पानी में हो सकेगी बल्कि बरसात कम होने पर भी फसल अच्छी हो सकेगी तथा खेत से उपज भी अच्छी मिलेगी तथा खर्चे की लागत भी कम आयेगी। जिससे कृषकों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी। अत: उपरोक्त फायदों को मद्देनजर रखते हुए किसान भाईयों को यथा सम्भव एवं यथाशक्ति फसल उत्पादन के लिए हमेशा गर्मी की जुताई अवश्य करें।

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