बायोफ्लॉक तकनीक आ गई है की किसान बिना तालाब के आसानी से मछली पालन कर बंपर कमाई कर सकते है।
बायोफ्लॉक तकनीक आ गई है की किसान बिना तालाब के आसानी से मछली पालन कर बंपर कमाई कर सकते है।
नीली क्रांति
नीली क्रांति
आज मछली किसान तालाबों में भी मछली पालन कर अपनी आय बढ़ा रहे हैं। भारत में नीली क्रांति के तहत आज मछली पालन की नई तकनीकों में वृद्धि हुई है।
आज मछली किसान तालाबों में भी मछली पालन कर अपनी आय बढ़ा रहे हैं। भारत में नीली क्रांति के तहत आज मछली पालन की नई तकनीकों में वृद्धि हुई है।
बायोफ्लॉक तकनीक एक विशेष प्रकार के बैक्टीरिया का उपयोग करती है। इस बैक्टीरिया का नाम बायोफ्लोक है।
बायोफ्लॉक तकनीक एक विशेष प्रकार के बैक्टीरिया का उपयोग करती है। इस बैक्टीरिया का नाम बायोफ्लोक है।
बायोफ्लॉक तकनीक मछली पालन क्या है?
बायोफ्लॉक तकनीक मछली पालन क्या है?
इस तकनीक के तहत मछलियों को करीब 10 से 15 हजार लीटर की बड़ी टंकियों में डाला जाता है। इन टंकियों में पानी की उचित व्यवस्था की जाती है, पानी निकालने के साथ-साथ ऑक्सीजन की भी व्यवस्था की जाती है।
इस तकनीक के तहत मछलियों को करीब 10 से 15 हजार लीटर की बड़ी टंकियों में डाला जाता है। इन टंकियों में पानी की उचित व्यवस्था की जाती है, पानी निकालने के साथ-साथ ऑक्सीजन की भी व्यवस्था की जाती है।
बायोफ्लॉक तकनीक के जरिये मछली पालन करने से किसानों को कई फायदे होते हैं, जिससे लागत कम होती है और उनका मुनाफा बढ़ सकता है।
बायोफ्लॉक तकनीक के जरिये मछली पालन करने से किसानों को कई फायदे होते हैं, जिससे लागत कम होती है और उनका मुनाफा बढ़ सकता है।
नई तकनीक का पालन कर कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसमें मछलियों को खिलाने का खर्चा भी कम आता है और पानी साफ करने का खर्च भी कम होता है।
नई तकनीक का पालन कर कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसमें मछलियों को खिलाने का खर्चा भी कम आता है और पानी साफ करने का खर्च भी कम होता है।
कम लागत में अधिक उत्पादन
कम लागत में अधिक उत्पादन
बायोफ्लॉक बैक्टीरिया के कारण टैंक का पानी लगातार साफ होता है, इसे रोजाना बदलने की जरूरत नहीं है, जिससे पानी की बचत होती है।
बायोफ्लॉक बैक्टीरिया के कारण टैंक का पानी लगातार साफ होता है, इसे रोजाना बदलने की जरूरत नहीं है, जिससे पानी की बचत होती है।
मछलियां जो भी खाती है उसका 75 फीसदी मल के रूप में बाहर निकला देती हैं। यह मल पानी में बिखर जाता है। बायोफ्लॉक बैक्टीरिया इस मल को प्रोटीन में बदल देते हैं, जिसे मछलियां खाती हैं।
मछलियां जो भी खाती है उसका 75 फीसदी मल के रूप में बाहर निकला देती हैं। यह मल पानी में बिखर जाता है। बायोफ्लॉक बैक्टीरिया इस मल को प्रोटीन में बदल देते हैं, जिसे मछलियां खाती हैं।