सर्दी में पाले के लक्षण और पाले से पौधे और फसलों पर होने वाला प्रभाव | फसलों को सर्दी में पाले से कैसे बचाये?
सर्दियों में दिसम्बर व जनवरी के महीनों में पाले के आने की संभावना होती है, जिससे फसलों को काफी नुकसान होने की सम्भावना रहती है।
रात का तापमान 0 डिग्री सेल्सियस या इससे भी कम हो जाता है ऐसी अवस्था में ओस की बूंदें जम जाती हैं। इस परिस्थितियों को हम पाला कहते हैं।
पाला पड़ने पर रात्रि में कूड़ा-कचरा या घास-फूस जलाकर धुआं करना चाहिए, ताकि खेत में धुआं हो जाए एवं वातावरण में गर्मी आ जाए। तो फसलें पाले से बच जाती है।
पाले से फसलों को बचाने के लिए किसानों को फसलों में सिंचाई करना चाहिए। सिंचाई करने से फसलों में पाले का प्रभाव नहीं पड़ता है।
हर साल खेत में थोड़ी मात्रा में रेत के इस्तेमाल से फसलों में पाले का असर कम हो जाता है, क्योंकि रेतीली मिटटी सौर विकिरण से जल्दी व अधिक गर्म हो जाती है |
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